Last Updated :
शनिवार, 13 जुलाई 2024 (15:02 IST)
सम्बंधित जानकारी
सावन के महीने में भूलकर भी न करें 11 काम, पछताएंगे आप

Sawan ke mah me nahi kare ye kaam: 14 जुलाई 2022 गुरुवार से श्रावण का माह प्रारंभ हो रहा है। इस माह में भगवान शिव, माता पार्वती और नागदेव की पूजा का खास प्रचलन है। साथ ही यदि संपूर्ण माह व्रत नहीं रख रहे हैं तो सिर्फ सोमवार के दिन ही व्रत रखें जाते हैं। आओ जानते हैं कि सावन के महीने में कौनसे 11 कार्य भूलकर भी नहीं करना चाहि।
1. भोजन : श्रावण में पत्तेदार सब्जियां यथा पालक, साग इत्यादि। तेल या मासालेदार भोजन, लहसुन और प्याज, मच्छी और मांसाहर, मूली, बैंगन, गुड़, मीठी, ज्यादा खट्टी और नमकीन पदार्थ, कच्चा दूध, कढ़ी, शहद और शक्कर का त्याग कर देना चाहिए। इस माह यह रोग पैदा करने वाली वस्तुएं होती हैं। भोजन कांसे के बर्तन में नहीं करना चाहिए।
2. नशा : सावन के माह में किसी भी प्रकार का नशा नहीं करते हैं। जैसे, पान, सुपारी, तंबाकू, अल्कोहल या अन्य किसी प्रकार का नशा करना।
3. ब्रह्मचर्य : सावन के माह में यदि ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते हैं तो पछताएंगे। ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते हैं तो निश्चित ही आप गंभीर रोग या किसी भी प्रकार के शोक से ग्रस्त हो सकते हैं। आप पर शिव के अपमान का पाप भी लग सकता है।

4. शयन : सावन के माह में गद्देदार बिस्तर पर नहीं होना चाहिए। हो सके तो भूमि पर शयन करना चाहिए। सावन माह में सुबह देर से उठना और रात देर तक सोना भी नुकसानदायक माना गया है। दिन में शयन न करें।
5. शरीर पर तेल लगाना : सावन माह में शरीर पर तेल लगाने की मनाही है।
6. स्नान : सावन माह में प्रतिदिन स्नान करना चाहिए। स्नान नहीं करने से शरीर जल्द ही रोगग्रस्त हो सकता है।
7. मांगलिक कार्य : सावन माह में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए। जैसे विवाह संस्कार, जातकर्म संस्कार, गृह प्रवेश आदि।
8. शिवपूजा : सावन माह में शिवपूजा में कोई गलती नहीं करना चाहिए। जैसे शिवलिंग पर हल्दी, कुमकुम, केतकी का फूल या तुलसी अर्पित करना। शिवलिंग के समक्ष ताली या शंख बजाना।
9. अतिथि : सावन माह में यदि आपके द्वारा पर कोई भी आए, जैसे गाय, बैल, भिक्षु आदि वह सभी अतिथि होते हैं उन्हें भगाना नहीं चाहिए।
10. अपमान : सावन माह में किसी का अपमान न करें। खासकर देवता, माता-पिता, गुरु, जीवनसाथी, मित्र और मेहमान। इस माह किसी भी जीव को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।
11. केश कर्तन : इस माह में दाढ़ी या सिर के बाल नहीं कटवाना चाहिए। नाखुन भी नहीं काटना चाहिए।
हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
हमारे साथ Telegram पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
हरतालिका तीज के दिन शिव पार्वती पूजा के लिए अष्ट प्रहर मुहूर्त का समय

Hartalika Teej Puja Timings: श्रावण मास में हरियाली अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष की तीज को हरियाली तीज और इसके बाद भादौ यानी भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तीज के दिन हरतालिका तीज का त्योहार मनाया जाता है। इस दौरान महिलाएं व्रत रखकर शिवजी और माता पार्वती की अष्ट प्रहर पूजा और आराधना करती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हरतालिका तीज का पर्व 26 अगस्त 2025 मंगलवार को मनाया जाएगा।
ऋषि पंचमी कब है, क्या करते हैं इस दिन, पूजा का शुभ मुहूर्त और मंत्र

हिंदू धर्म में ऋषि पंचमी का भी बड़ा महत्व माना गया है। यह पर्व भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पंचमी यानी हरतालिका तीज के के दो दिन और गणेश उत्सव की गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद आता है। ऋषि पञ्चमी इस बार 28 अगस्त 2025 गुरुवार की रहेगी। वैसे तो ऋषि पंचमी का त्योहार सप्त ऋषियों को श्रद्धांजलि देने और महिलाओं द्वारा रजस्वला दोष से मुक्ति और शुद्ध होने के कारण यह व्रत रखा जाता है, लेकिन प्रदेश और स्थान के अनुसार इसे मनाए जाने के अलग अलग कारण भी है। इसी दिन से दिगंबर जैन समुदाय का 10 दिवसीय पर्युषण महापर्व की शुरुआत भी होती है। ऋषि पंचमी पर कश्यप ऋषि की जयंती भी रहती है।
इस बार गणेश चतुर्थी बुधवार को, कई शुभ योग में स्थापित होंगे गणपति, जानें विसर्जन का मुहूर्त

Ganesh sthapana visarjan muhurat 2025: भगवान गणेशजी का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मध्याह्न काल में, सोमवार, स्वाति नक्षत्र एवं सिंह लग्न में हुआ था। इसीलिए गणेश चतुर्थी यानी गणेश उत्सव का त्योहार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है। इस बार यह त्योहार 27 अगस्त 2025 बुधवार को गणपति स्थापना से प्रारंभ होकर 6 सितंबर 2025 शनिवार को गणेश प्रतिमा विसर्जन तक रहेगा। 27 अगस्त को इस बार हस्त और चित्रा नक्षत्र का संयोग है। गणेशजी के दिन बुधवार में ही शुभ, शुक्ल, सर्वार्थ सिद्धि योग और रविवार का संयोग भी है।
कब से होंगे गणेश उत्सव प्रारंभ, क्या है गणपति स्थापना और पूजा का शुभ मुहूर्त, मंगल प्रवेश

ganesh chaturthi 2025: मान्यता है कि गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मध्याह्न काल में, सोमवार, स्वाति नक्षत्र एवं सिंह लग्न में हुआ था। इसीलिए गणेश चतुर्थी यानी गणेश उत्सव का त्योहार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है। इस बार यह त्योहार 27 अगस्त 2025 बुधवार के दिन रहेगा। आओ जानते हैं कि कब है गणेश स्थापना और पूजा का शुभ मुहूर्त। 27 अगस्त को गणेश स्थापना और गणेश विसर्जन 6 सितम्बर 2025 शनिवार को होगा।
सितंबर माह 2025 में कब कब है एकादशी?

Bhadrapada Ekadashi in September 2025: पार्श्व-परिवर्तिनी एकादशी, पद्मा एकादशी या जलझूलनी एकादशी ये सभी नाम हिन्दू पंचांग की महत्वपूर्ण एकादशी तिथियों से संबंधित हैं, जिनमें से ये सभी एक ही एकादशी के अलग-अलग नाम हैं। साथ ही इसी माह श्राद्ध पक्ष में इंदिरा एकादशी भी मनाई जाएगी। आइए यहां जानते हैं महत्वपूर्ण तिथियां...
और भी वीडियो देखें

21 अगस्त 2025 : आपका जन्मदिन

21 August Happy Birthday: जन्मदिन की शुभकामनाओं के साथ आपका स्वागत है वेबदुनिया की विशेष प्रस्तुति में। यह कॉलम नियमित रूप से उन पाठकों के व्यक्तित्व और भविष्य के बारे में जानकारी देगा जिनका उस दिनांक को जन्मदिन होगा। पेश है दिनांक 21 को जन्मे व्यक्तियों के बारे में जानकारी...
21 अगस्त 2025, गुरुवार के शुभ मुहूर्त

Today Shubh Muhurat 21 August 2025: आज आपका दिन मंगलमयी रहे, यही शुभकामना है। 'वेबदुनिया' प्रस्तुत कर रही है खास आपके लिए आज के दिन के विशिष्ट मुहूर्त। अगर आप आज वाहन खरीदने का विचार कर रहे हैं या आज कोई नया व्यापार आरंभ करने जा रहे हैं तो आज के शुभ मुहूर्त में....
पिठोरी अमावस्या पर कर लें कालसर्प दोष दूर करने के 4 अचूक उपाय

kaal sarp dosh ke 5 upay pithori amavasya : भाद्रपद मास कही अमावस्या को कुशोत्पटिनी अमावस्या और पिठोरी अमावस्या कहते हैं। इसी दिन महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पोला पर्व मनाया जाता है। यह दिन मुख्य रूप से धार्मिक कार्यों और श्राद्ध के लिए पवित्र कुशा घास, जिसे डाब भी कहते हैं को इकट्ठा करने के लिए समर्पित है। इस दिन पितृ दोष से मुक्ति के अलावा काल सर्पदोष से मुक्ति के उपाय भी कर सकते हैं।
पोला पर्व क्या और क्यों मनाया जाता है, जानें रोचक जानकारी और खास बातें

Pola celebration 2025: पोला पर्व क्या है और क्यों मनाया जाता है? जानें पोला पिठोरा के महत्व, पूजा विधि और बैलों की पूजा के रोचक तथ्यों के बारे में। इस लेख में पोला पर्व 2025 की तिथि और संपूर्ण जानकारी प्राप्त करें।
पर्युषण महापर्व 2025: जानें धार्मिक महत्व और जैन धर्म के 5 मूल सिद्धांत

Significance of Paryushan: पर्युषण के आठ दिनों में, जैन मुनि और साध्वी भक्तों को धार्मिक उपदेश देते हैं और पवित्र जैन ग्रंथ कल्प सूत्र का पाठ किया जाता है, जिसमें भगवान महावीर के जीवन और शिक्षाओं का वर्णन है। पर्व के अंतिम दिन को संवत्सरी कहा जाता है, जो इस पर्व का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है
(责任编辑:)
|